✦ अबू ज़र रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फ़रमाया की सुबह होते ही तुम में से हर एक शख्स के हर एक जोड (जायंट्स) पर सदक़ा वाजिब हो जाता है, फिर हर एक तसबीह (यानी सुबहान अल्लाह कहना) सदक़ा है , हर एक तम्हीद (यानी अल्हाम्दुलिल्लाह . ) सदक़ा है ,और हर एक तहलील (ला इलाहा इलअल्लाह कहना) भी सदक़ा है और हर एक तकबीर (अल्लाहू अकबर कहना) भी सदक़ा है, (किसी को) अच्छी बात सिखाना भी सदक़ा है और (किसी को) बुरी बात से रोकना भी सदक़ा है इन तमाम कामो की जगह चाश्त (दूहा / अव्वाबिन) की दो रकातें काफ़ी हो जाती हैं जिसको वो पढ़ लेता है
सही मुस्लिम, जिल्द 2, 1671
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