✦ 14 - सीरत उन नबी सल-अल्लाहू अलैही वसल्ल
✦ अनस बिन मलिक रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की एक शख्स पहले ईसाई ( क्रिस्चियन) था , फिर वो इस्लाम में दाखिल हो गया था , उसने सुराह बक़रा और आल-ए-इमरान पढ़ ली फिर वो नबी सलअल्लाहू अलैही वसल्लम का मुंशी ( उनके लिए लिखने वाला) बन गया , फिर वो शख्स मुर्तद हो गया (यानि इस्लाम छोड़ दिया) और फिर से ईसाई बन गया और कहने लगा की मुहम्मद सललल्लाहू अलैही वसल्लम को जो कुछ मैने लिख दिया है उसके सिवा उन्हे कुछ भी मालूम नही , फिर अल्लाह के हुक्म से उसे मौत आ गयी, और उसके आदमीयों ने उसे दफ़न कर दिया जब सुबह हुई तो सबने देखा की उसकी लाश क़ब्र से निकल कर ज़मीन के उपर पढ़ी है, ईसाईयों ने कहा की ये मुहम्मद (सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ) और उनके साथियों का काम है , क्यूंकी उसका दीन इसने छोड़ दिया था, इसलिए उन्होने इसकी क़ब्र खोदी है, और लाश को बाहर निकाल कर फेंक दिया है, फिर उन्होने दूसरी क़ब्र खोदी जो बहुत ज़्यादा गहरी थी, लेकिन जब सुबह हुई तो फिर लाश बाहर थी इस बार भी उन्होने यही कहा की ये मुहम्मद (सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ) और उनके साथियों का काम है , क्यूंकी उसका दीन इसने छोड़ दिया था, इसलिए उन्होने इसकी क़ब्र खोदी है, और लाश को बाहर निकाल कर फेंक दिया है, फिर उन्होने क़ब्र खोदी और जितनी गहरी उनके बस में थी करके उसके अंदर डाल दिया, लेकिन सुबह हुई तो फिर लाश बाहर थी, अब उन्हे यकीन आ गया की ये किसी इंसान का काम नही ( बल्की ये मय्यत अज़ाब-ए-इलाही में गिरफ्तार है) फिर उन्होने इसे यू ही (ज़मीन पर) डाल दिया
सही बुखारी, जिल्द 5, 3617
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