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✦ अल क़ुरान : जिन लोगों ने अल्लाह और उसके रसूल का हुक्म माना , इसके बावजूद के उन्हे ज़ख़्म लगे हुए थे , जो उनमें से नेक और परहेजगार हुए उनके लिए बड़ा अजर है , जिन्हे (मुनाफ़िक़) लोगों ने कहा की लोगों ने (मुशरिकों और काफिरों ने ) तुम्हारे मुक़ाबले के लिए सामान जमा किया है , इसलिए तुम उनसे डरो तो (ये सुनकर) उनका ईमान और ज़्यादा हो गया और वो कहने लगे की हसबुनअल्लाहु वा निमल वकील
( हमको अल्लाह काफ़ी है और वो बेहतरीन कारसाज़ है)
सुराह आल-ए-इमरान , आयात 172-173
✦ हदीस : अबू सईद खुदरी रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया मैं किस तरह आराम करू जबकि उसने(इसराफिल अलैही सलाम ने) सूर में मुँह लगाया हुआ है और उनके कान अल्लाह सुबहानहु के हुक्म के मुन्तज़िर हैं की वो कब फूँकने का हुक्म दे दे और वो फूँक दे, ये बात सहाबा रदी अल्लाहू अन्हु के दिल पर सख़्त (गमनाक) गुज़री तो आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया तुम कहो
हसबुनअल्लाह वा निमल वकील अलअल्लाहि तव्क्कलना
( हमको अल्लाह काफ़ी है और वो बेहतरीन कारसाज़ है और उसी पर हम भरोसा रखते हैं )
जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 2, 322-हसन
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