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रसूल अल्लाह सललललाहू अलैही वसल्लम ने एक शख्स को ये दुआ करते हुए सुना
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ بِأَنَّ لَكَ الْحَمْدَ، لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ وَحْدَكَ لَا شَرِيكَ لَكَ، الْمَنَّانُ بَدِيعُ السَّمَوَاتِ وَالْأَرْضِ، ذُو الْجَلَالِ وَالْإِكْرَامِ،
✦ अल्लहुम्मा इन्नी असअलूका बी-अन्ना लकल-हम्द ला इलाहा इल्ला अन्त, वाहदका ला शरीका लक, अल-मन्नान.
बदी-उस-समावाती वल-अर्द , ज़ुल-जलाली वल-इकराम
✦ एह अल्लाह मैं तुझसे सवाल करता हू क्यूंकी तेरे ही लिए हम्द है तेरे सिवा कोई माबूद ए बरहक़ नही , तू अकेला है , तेरा कोई शरीक नही, तू बहुत एहसान करने वाला है, आसमानों और ज़मीनो को बगैर मिसाल के पैदा करने वाला है , जलाल और अज़मत वाला है ये सुनने के बाद रसूल अल्लाह सललललाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया इस शख्स ने अल्लाह से उसके इस्म-ए-आज़म के ज़रिए सवाल किया है
जब भी उसके ज़रिए सवाल किया जाता है तो वो अता करता है और जब उसके ज़रिए दुआ माँगी जाती है तो वो क़ुबूल करता है
सुनन इब्न माजा, जिल्द 3, 738-हसन
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