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अल कुरान : अल्लाह सुबहानहु तुम्हारी औलाद के बारे में तुमको हुक्म देता है की
✦ एक लड़के का हिस्सा दो लड़कियों के बराबर है
✦ और अगर मय्यत के सिर्फ़ लड़कियां हो दो या दो से ज़्यादा तो कुल तरके (विरासत) में से उनका दो तिहाई (2 /3 यानी 66.66%) हिस्सा होगा
✦ और अगर सिर्फ़ एक लड़की हो तो उसका हिस्सा आधा (1/2 यानी 50%) होगा ,
✦ और मय्यत के माँ बाप का यानी दोनो में हर एक का तरके (विरासत) में से छठा हिस्सा (1/6 यानी 16.66%) होगा बशर्त की मय्यत के औलाद हो.
✦ और अगर औलाद ना हो और सिर्फ़ मा बाप ही उसके वारिस हो तो माँ का हिस्सा
एक तिहाई (1/3 यानी 33.33%) होगा
एक तिहाई (1/3 यानी 33.33%) होगा
✦ और अगर मय्यत के भाई भी हो तो माँ को छटा हिस्सा (1/6 यानी 16.66%) दिया जाएगा.
✦ और ये तक़सीम मय्यत की वसीयत (की तामील) के बाद जो उसने की हो या क़र्ज़ (की अदाईगी) के बाद होगी.
✦ तुमको मालूम नही की तुम्हारे बाप (दादाओं) और बेटों (पोतों) में से कौन तुम्हे ज़्यादा फ़ायदा पहुचाने वाला है
✦ ये हिस्से अल्लाह सुबहानहु के मुक़र्रर किए हुए हैं और अल्लाह सब कुछ जानने वाला और हिकमत वाला है
अल क़ुरान सुरह अन निसा (4), 11
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*नोट : उलमाओं का कहना है की एक लड़के का हिस्सा दो लड़कियो के बराबर इसलिए रखा गया है क्यूंकी लड़के के उपर उसकी खुद की बीवी और बच्चो की भी ज़िम्मेदारी होती है, शोहर और बीवी का हिस्सा इसी सुराह की अगली आयात (12) में
बयान किया गया है.*
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