✦ आईशा रदी अल्लाहू अन्हा से रिवायत है की जब रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम बिस्तेर पर लेट ते तो सुरह अल-फलक़ और सुरह अन-नास पढ़ कर अपने हाथों पर फूँकते और दोनो हाथ अपने जिस्म पर फेरते.
सही बुखारी, जिल्द 7, 6319
✦ आईशा रदी अल्लाहू अन्हा से रिवायत है की जब रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम जब बीमार हो जाते तो सुरह अल-फलक़ और सुरह अन-नास की सूरतें पढ़कर उसको अपने उपर दम करते फिर जब आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम की तकलीफ़ बढ़ गयी तो मैं उन सुरतो को पढ़कर आप सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम के हाथों से बरकत की उम्मीद में आपके जिस्म मुबारक पर फेरती थी
सही बुखारी, जिल्द 7, 5016
✦ अब्दुल्लाह बिन खुबेब रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया सुबह और शाम 3 बार क़ुल हुवल्लाहू अहद (सुरह इख्लास) और मूआवज़तैन (सुरह अल-फलक़ और सुरह अन-नास) पढ़
लिया करो , ये तुम्हें (हर तरह की परेशानियो से बचाओ के लिए) काफ़ी हो जाएगी
सुनन अबू दाऊद, जिल्द 3, 1643-हसन
No comments:
Post a Comment