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Sunday, 31 July 2016

सुरह अत-तौबा

✦ अल क़ुरान : नबी और मुसलमानों के लिए ये बात मुनासिब नही की वो मुशरिकों के लिए बख्शीश की दुआ करे चाहे वो उनके रिश्तेदार ही क्यूँ ना हो जबकि उन पर ज़ाहिर हो जाए की वो दोज़ख़ी हैं
सुरह अत-तौबा (9), आयत 113

नोट : जब रसूल-अल्लाह सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम ने अपने चाचा अबू तालिब के लिए मगफिरत की दुआ करनी चाही तब अल्लाह सुबहानहु ने ये आयत नाज़िल फरमा दी - सही मुस्लिम, जिल्द 1, 132 
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