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Sunday, 31 July 2016

मैदान ए महशर में उम्मत की शफ़ाअत – 1



✦ 15 - सीरत उन नबी सल-अल्लाहू अलैही वसल्लम
(मैदान ए महशर में उम्मत की शफ़ाअत – 1)

✦ अनस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह सलअल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया अल्लाह सुबहानहु क़यामत के दिन जैसे हम दुनिया में जमा होते हैं उसी तरह मोमीनों को ईकठ्ठा करेगा (वो गर्मी से परेशान हो कर) कहेंगे काश हम किसी की सिफारिश अपने मालिक के पास ले जाते ताके हमें अपनी इस हालत से आराम मिल जाए
इसलिए सब मिल कर आदम अलैही सलाम के पास आएँगे, और उनसे कहेंगे ओ आदम अलैही सलाम आप लोगो का हाल नही देखते हम किस बला में गिरफ्तार हैं. आप को अल्लाह सुबहानहु ने (ख़ास) अपने हाथ से बनाया और फरिश्तों से आप को सजदा कराया और हर चीज़ के नाम आप को बतलाए ( हर जुबान में बोलना बात करना सिखाया) कुछ सिफारिश कीजिए ताकि हम लोगों को इस जगह से निजात हो कर आराम मिले. वो फरमाएँगे मैं इस लायक़ नही, उन को वो खता याद आ जाएगी जो उन्होंने की थी ( ममनूअ दरख़्त में से खाना ), तुम लोग ऐसा करो नूह अलैही सलाम के पास जाओ वो पहले रसूल हैं जिनको अल्लाह सुबहानहु ने ज़मीन वालों की तरफ भेजा था.

✦ आख़िर वो लोग सब नूह अलैही सलाम के पास आएँगे, वो भी यही जवाब देंगे, मैं इस लायक़ नही अपनी ख़ता जो उन्होंने (दुनिया में) की थी याद करेंगे, वो भी कहेंगे तुम लोग ऐसा करो ईब्राहिम अलैही सलाम के पास जाओ जो अल्लाह के ख़लील हैं ( लोग उन के पास जाएँगे) वो भी अपनी खताएं याद कर के कहेंगे में इस लायक़ नही तुम मूसा अलैही सलाम के पास जाओ अल्लाह ने उनको तौरात इनायत फरमाई, उन से बोल कर बातें की……………
सही बुखारी , जिल्द 8 , हदीस 7410 – Part 1


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